इतिहास
विद्यालय का संक्षिप्त इतिहास
नेपाल सीमा से लगा यह क्षेत्र चिरकाल से अपने समृद्धि तथा भौगोलिक
स्थिति के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश के अन्तर्गत बस्ती मण्डल के सिद्धार्थनगर जिले में मदुका के नाम से जाना जाता है।
मठहना (संप्रति बर्डपुर) इस क्षेत्र का केन्द्रीय स्थल रहा है। बौद्ध काल में कपिलवस्तु गणराज्य के मठों की नगरी मठहना का अपना विशेष महत्व था। चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा फाह्यान के यात्रा वृतान्त इसके साक्षी हैं। कलान्तर में समय के साथ मठहना के समृद्धि में निरन्तर ह्रास होता रहा और ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना के पश्चात् बर्डपुर इस्टेट (मठहना) पूर्ण रूप से अंग्रेज जमींदारों का दास बन चुका था। शिक्षा, चिकित्सा, यातायात जैसी मूलभूत सुविधाँए मटुका मठहना के भाग्य से कोसों दूर होता गया।
गरीबी, निर्धनता, अशिक्षा की मार से मरता मटुका अन्ततः पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे पिछड़ा तराई क्षेत्र कहा जाने लगा। पिछड़नेपन से अभिशप्त बर्डपुर (आधुनिक कपिलवस्तु) को पुनः समृद्ध, जागरूक करने तथा लोगों को समाज व राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने के उद्देश्य से क्षेत्र में शिक्षा के महत्व एवं विकास की संकल्पना को सन् 1957 ई0 की वैशाख पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) को बुद्ध विद्या पीठ की स्थापना कर मूर्तरूप दिया महान संत–विचारक–युगद्रष्टा आधुनिक ‘बुद्ध‘ स्व० पं० रामशंकर मिश्र ने। स्व0 मिश्र इस संस्था के संस्थापक एवं आजीवन प्रबन्धक रहे। प्रतिभा के धनी, कुशल शिक्षाविद्, स्व० मिश्र द्वारा प्रज्जवलित शिक्षादीप “बुद्ध विद्यापीठ” के आलोक में संप्रति मटुका न केवल आलोकित और समृद्धि हो रहा है अपितु अपनी भाग्य–रेखा खींचने में भी समर्थ हो रहा है।
जनपद कोड | 73 |
विद्यालय कोड | 1011 |
यूडायस कोड | 09540200708 |
मान्यता
जूनियर हाईस्कूल | 192-63 |
हाईस्कूल | 1962-63 |
इंटरमिडिएट कला मानविकी | 1964 |
माननीय प्रबन्धक महोदय का संदेश
महात्मा बुद्ध के "अप्प दिपो भव" अर्थात अपना प्रकाश स्वयं बनो के सूत्र वाक्य को आत्मसात कर विद्यालय सफलता के कई सोपान चढ़ा है और भविष्य में भी इसी प्रकार सफलता के नये प्रतिमान स्थापित करेगा। ऐसी मुझे आशा है। मैं विद्यालय परिवार के अच्छे भविष्य की शुभकामना देता हूँ।
भवदीय
राजेश चन्द्र शर्मा
(प्रबन्धक)
बुद्ध शिक्षा परिषद् बर्डपुर
सिद्धार्थनगर